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स माघ शुदि ३ तिरहूतिः हरशिंहु राजासन मिह्लोसन तासत्र गही टो ढ़ीलीस तुरूक याके वंङ रायत मानालपं थमु अगु गन याङ वस्यं शिमरावन गड्ढ़ भङ्ग याङ तिरहूतिया राजा महाथ आदिन समस्त वडङ व्यसन वंग्व टों ग्वलछिनो लिन्दुंबिल ववः ग्वलछिनो राजगाम द्वलखा धारे वंग्व।
हिंपोतस राजा हरसिंह तो शिकथ्वस काय नो मआथ नो उभय बंधि यंङा कूलन ज्वोङाव हंग्व राज गामया मझीधारो धायान समस्त धन कासन”
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शाके श्री हरिसिंह देव नृपतेर्भूपार्क १२१६ तुल्ये जनि–
स्तस्माद्दंत मितेऽब्दकेँ द्विजगणैः पञ्जी प्रबन्धः कृतः”॥
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“शाके युग्म गुणकि सम्मित वरे भूपाल चूड़ामणिः
श्रीमच्छृ हरिसिंह देव बिजयी पञ्जी प्रबन्धः कृतः
तस्मात कर्ण बीजकलितं सुद्विंश्व चक्रेपुरा।
कायस्थ मति प्रदस्थ गुणिनः श्री शंकर दत्तभान”॥
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source:
"भालसरिक गाछ"सँ "विदेह"-'प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका' धरि
http://www.videha.com/2010/02/part-ii_27.html
(Acessed on 14. Oct 2010)